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भीड़ के रूप और रंग

भीड़ अब  एक नया स्वभाव है  एक भीड़ बच्चों की है  जो बस्ते के बोझ तले, भविष्य के सपने संवारती है  एक भीड़ उन लाचारों की  है  जो सरकारी दफ्तरों  में चक्कर काटती  है  एक भीड़ उन शेरों  की  है  जो सिर्फ़  सोशल मिडिया के पर्दे के पीछे से दहाड़ती है  एक भीड़ बेरोजगारों की है  जो हर आंदोलन में सड़कों की धूल कँघालती है  एक भीड़ उन महिलाओं की है  जो कभी कभी बुलंद स्वर कर उन्हें ललकारती  हैं  कभी अच्छी भी यह भीड़ और कभी बहुत बुरी भी  कभी सही भी होती है तो कभी बिलकुल गलत भी  तराजू लेकर बैठिये, देखिये किस तरफ झुकता है  अच्छे या सही की तरफ , बुरे या गलत की तरफ  अपना भी मूल्याँकन है  हिम्मत से  करियेगा  

LYNCHING....

खत्म कर दिए जाओगे। ... बोलना मत पहचान भी नहीं पाओगे  ... बोलना मत एक भीड़ आएगी तुम्हारी तरफ कुछ पूछेगी नहीं कुछ देखेगी नहीं यूहीं  जान गवां  जाओगे बोलना मत कई जा चुके हैं कुछ खाने के नाम पर कुछ धर्म के नाम पर  इसी  विध्वंस का हिस्सा बना दिए जाओगे बोलना मत किस किस को रोकोगे किस किस पर चिल्लाओगे कितने कानून बनाओगे ठिकाने लगा दिए जाओगे बोलना मत साँस लेते रहो  पर पता न चले देखते रहो पर आंखे न खुले सरकार तुम्हारी पहरेदार नहीं है जो उसे गुहार लगाओगे बस बोलना मत